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समोसा और मेरी मोहब्बत😋

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चलो रूठ जाओ तुम मैं तुमको मनाता हूं तुम कोई जिद करो मैं पूरा करने में जान लगाता हूं बहुत दिन हो गए तारों की झुरमुट की चमके देखें तुम लिखो कोई गजल मैं उस गज़ल को गुनगुनाता हूं अभी तो वक्त है मुट्ठी में और जज्बात है दिल में चलो रूठ जाओ फिर से मैं तुम्हें फिर से मनाता हूं मेरे हाथों को थाम लो और फिर कोई जिद ना करो तुम दो कसम अपनी मैं वापस लौट आता हूं और भी है बहुत से होना आजमाने को बाकी रखो तुम हाथ दिल पर मैं तुमको अपनी धड़कन सुनाता हूं बहुत दिन हो गए मोहब्बत को खामोशी से निभाते हुए मुझे है तुमसे मोहब्बत है जताना भूल जाता हूं चलो रूठ जाओ फिर से मैं तुम्हें मनाता हूं

मेरा परिचय

 मैं निशा भारती, शेखपुरा बिहार की रहने वाली हूं। मेरे पिताजी श्री दिनेश प्रसाद यादव पैसे से पंचायत सचिव हैं, मेरी मां श्रीमती गायत्री देवी एक कुशल गृहिणी है। मेरा दो भाई और एक बहन है मैं अपने भाई बहन में सबसे बड़ी हूं। मेरा बचपन कब कुछ साल अपने गांव बरूनी में बीता। उस दिन के बाद जब मेरे पिताजी का जॉब हो गया तो हम लोग हमेशा के लिए शेखपुरा में शिफ्ट हो गए। और मैं एवं मेरे भाई बहन अपना स्कूल करना शुरू किए जिसका नाम मरिया आश्रम कैथोलिक चर्च है यहां से हम लोगों को किताबों के ज्ञान के साथ-साथ अनुशासन ईश्वर पर विश्वास पड़ोसी सेवा देश भक्ति आदि की शिक्षा दी जाती यह स्कूल हमारे लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुआ यहां सातवीं तक की पढ़ाई होती थी मैंने यहां से पांचवी करने के बाद गुरुकुल के लिए प्रवेश परीक्षा पास कर लिया तथा मेरा आर्य कन्या गुरुकुल शास्त्री नगर लुधियाना में दाखिला हो गया यहां से हमारे सभी भाई बहन कहीं ना कहीं अच्छे स्कूल में प्रवेश मिला                  13 अप्रैल 2008 बुधवार के दिन मुझे गुरुकुल में पढ़ने के लिए भेज दिया गया वहां की प्रवेश ...

चमकता सुबह

उठ जाग मुसाफिर भोर भईल, अब रेन कहां जो सोबत है । जो सोबत है वह खोबत है जो जागत ,है वह पावत है।।